Thursday, August 16, 2007
भूल गए संजय दत्त को
दो हफ्ते पहले जब संजय दत्त को सजा सुनाई तो हमारे मीडिया का विधवा विलाप हो रहा था। पूरे दिन चौबीस घंटे टेलीविजन पर हाय संजय हाय संजय होती रही। ऐसा लग रहा था कि न जाने देश पर कितनी बड़ी आफत आ गई है। अब तो फिल्म इंडस्टरी बरबाद हो जाएगी। नेता से लेकर सड़क छाप शोहदे तक परेशान हो गए। केवल दो हफ्ते बाद आज किसी को पता नहीं है कि संजय दत्त की क्या हालत है। सही सि्थित तो यह थी कि तब भी आम आदमी को ज्यादा लेना देना नहीं था कि संजय दत्त का क्या हो रहा है। केवल उन लोगों को सबसे अधिक समस्या आई थी जो खुद को कानून से बड़ा मानते थे या है। या ये वे लोग है जिनका पैसा संजय दत्त की फिल्मों में लगा है। जिस के पिता और मां उसके बाद बहिन सांसद हो उसको भी सजा यह तो बड़ा गलत है। कुछ सिनेमा के कलाकारों ने तो हस्ताक्षर अभियानन भी चलाया जिस पर उन्हें सरकारी वकील की चेतावनी सुननी भी पड़ी। आखिर वे कानून को अपने हिसाब से क्वों चलाना चाहते हैं। सबसे आश्चर्य यह है कि मीडिया दो दिन बाद चुप हो गया। शायद किसी दिन इसकी चेतना जागेगी तो यह सही बात करेगा। अभी तो सिनेमा जगत के कुछ अन्य सितारों सलमान खान फरदीन खान और भी कई लोगों पर मुकदमे चल रहे हैं। इनकी सजा पर कितना रोएगा।
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1 comment:
मीडिया टीआरपी केन्द्रित है। अपरिचित किसानों की आत्महत्या की अपेक्षा फ़िल्मी सितारों की छींक भी ज़्यादा दर्शक खींचती है। शायद यही वजह है कि मीडिया फ़िज़ूल के मुद्दों पर क्रन्दन करने को सदैव तत्पर रहता है।
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