Wednesday, August 1, 2007

सन्जय

हाय सन्जय दत्त को सजा हो ग इ पिछले दो दिन सै सारे मीडैया मै यही रोना हौ सब को चिन्ता है कि अब क्या होगा सिनेमा का कै करोड रुपया लगा हुआ है यहा तक कि देश का एक मन्तरी को इस पर ताज्जुब होता हौ इनके लिए कानून के शासन से ज्यादा सन्जय हौ सरकार के लोग कहते है यह उन्की निजी राय हौ लगता है कि सरकार मे सामूहिक जिम्मेदारी के कोइ मायने नही हौ सन्जय दत्त को जिस अदालत ने सजा दी है उसने क इ ओरो को भी सजा दी पर किसी को फरक नही पडा क्यो कि वे अपराधी थे

1 comment:

अनुनाद सिंह said...

सही है। पूरा मेडिया ही वास्तविकता को धत्ता बताकर 'फिल्मी' हो चला है। कोई भी एक बार भी नहीं कह रहा है कि यह बहुत अच्छा हुआ। अपराधी को दण्ड मिलना चाहिये। सब के सब 'गैर-मुद्दों' में लोगों को उलझाये हुए हैं। मेडिया से अपेक्षा थी कि इस तरह के निर्णयों पर वाह-वाह करता; कहता कि इससे लोगों में कानून-व्यवस्था के प्रति आस्था बढ़ेगी आदि-आदि