Tuesday, November 11, 2008

मंत्रियों को बुद्धजीवि दिखने का जुनून

आजकल उत्तराखंड के कुछ मंत्रियों में बुद्धजीवी दिखने का जुनून सवार है। सारे प्रशासनिक और राजकीय काम छोड़कर ऎसे दिखावा किया जा रहा है कि उनसे बड़ा विद्वान भाजपा में कोई नहीं है। इन मंत्रियों के बीच अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने की होड़ मची हुई है। एक मंत्री के महकमे में चार विभागों में हड़ताल चल रही है। यह हड़ताल कई दिनों से जारी है लेकिन मजाल है जो मंत्री इससे थोड़ा भी विचलित हो जाएं। फिलहाल तो ये महाशय अपनी लिखी किताबों के विमोचन करने में लगे है। बेचारे इसके लिए कहा़ नहीं घूम रहे है। भारत के एक कोने से दूसरे कोने में घूम घूम कर लोगों की साहित्यिक रुचि का इंतिहान लेने में लगे है। खुद बता रहे है कि उनकी कविता और कहानियां कितनी सार्थक है और समाज के लिए कितनी उपयोगी है। कई जगहों पर उनके चंपूओं ने सम्मान भी आयोजित कर अपने आका को खुश करने का प्रयास किया। इतना करने पर भी लोग है कि उनको साहित्यकार मानने को तैयार नहीं है। अब क्या करें। लेकिन वो नेता ही क्या जो जनता की माने। खुद को साहित्यकार घोषित करवाने के चक्कर में विभाग की चिंता किसे है। वैसे विभाग चलाने के लिए मंत्री ने आग्याकारी सेवक सेविकाएं रखी है और उनके भरोसे मंत्रालय चल रहा है। वैसे इनके बारे में चरचा है कि इनका कवि और लेखक तभी जागता है जब ये सत्ता में होते है और जब कभी ये सत्ता से बाहर होते है तो मंत्री के अंदर का लेखक व कवि भी सो जाता है।इनकी गंभीरता भी देखने लायक होती है।एक और मंत्री है वे भी अतिशय गंभीर है। इनके अंदर भी कवि बसता है। जब भी मौका मिलता है कवि सम्मेलन के मंच पर बिराजमान हो जाते है और श्रोताओं को कृतार्थ कर देते है। वाह वाह के लिए चंपू मौजूद है। सम्मेलन के बाद ये कहने वाले भी कि भाई साहब क्या कविता पढ़ी सारे सम्मेलन मे आप की छाये हुए थे। इनके कवि बनने में भाजपा के शीर्ष पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी की भी महती भूमिका है जब से उन्होने अपनी कविता की किताब छापी तब से इन्हे भी कवि बनने की प्रेरणा मिल गई और बना डाली कविता। जनता ने चुना हे तो क्या कविता नहीं सुनेगी। इनके काव्य की धारा इतनी गहरी है कि इनके आधीन सारे विभाग पानी मांग रहे है। हो ये रहा है कि मंत्रीयों की किताबें और प्रसंशा भारी होती जा रही है उसके साथ ही विभाग की समस्याएं भी भारी होती जा रही है। जनता का खुदा हाफिज।

2 comments:

Udan Tashtari said...

एक नया हथकंडा...बाकी तो सब अजमा चुके. :)

सौरभ कुदेशिया said...

chalo isi bahane yeh mana to ki hamare neta buddhijeevi na ho kar ke buddujeevi type hai...

Koi buddhijeevi agar neta ban jaye to koi dikkat nahi..asli dikkat to tab hai jab neta buddhijeevi banne par utaru ho jaye..