Wednesday, November 14, 2007

vergin land of tourism e chambal



indian skimers on the bank of chambal
it is a rare bird and found only here. Native and foreign bird watcher came here to see them.










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indian skimers on the bank of chambal with crocodile



indian gladiator in chambal.








steamer in chambal.



Monday, November 12, 2007

सीपीएम का असली चेहरा नंदीग्राम

नंदीग्राम में जो कुछ हो रहा है उसके बारे में अब छन छन कर खबरें आने लगी हैं। यह भी अभी पूरा सच नहीं है। जो इन सीपीएम के चरित्र के बारे में जानते है उन्हें इस व्यवहार पर आश्चर्य नहीं होगा लेकिन बहुत से लोगों के लिए यह अजीब हो सकता है। अपनी जमीन को खोने के डर से जो लोग आंदोलन कर रहे है उन्हें सीपीएम का कैडर कैसे कुचल रहा है यह केवल नंदीग्राम में ही देखा जा सकता है। सीपीएम अपने जन्म से ही एक घनघोर अवसरवादी लोगों का जुंटा रहा है। प्रतिक्रियावाद इसकी रग रग में है। इसका कैडर किसी भी तरह से गुंडों से कम नहीं है। यही कैडर आज नंदीग्राम में तांडव कर रहा है। सत्तर के दशक में जब बंगाल के नौजवान समाज परिवर्तन के लिए लडं रहे थे तो सीपीएम का कैडर पुलिस का मुखबिर बना हुआ था। तब भी सत्ता के साथ मिलकर इन्होंने कम लोगों की हत्या नहीं करवाइ थी। ये लोग कैसे तीस साल से सत्ता में बैठे है यह इस घटना से पता चल जाता है। जनता का समर्थन इन्हें हो या न हो यह अपनी दबंगता से वोट पा ही जाते हैं। जिस तरह से ये नंदीग्राम में काम कर रहे है उसी तरह से ये पूरे राज्य में काम करते हैं। सीपीएम पूरी तरह से दोगली पार्टी है। ये जो कहती है करती ठीक उसका उल्टा है। मल्टीनेशान का विराध करने वाले नंदीग्राम में सेज के माध्यम से उसी संस्कृति का समर्थन कर रहे हैं। सुविधाभोगी राजनीति ने इनके नेताओं और कार्यकर्ताऒं को भ्रष्ट कर दिया है। रही सही कसर नए मुख्यमंत्री बुद्धदेव ने पूरी कर दी। सीपीएम ने अपने कैडर को पूरी छूट दे रखी है कि वे नंदीग्राम में किसी तरह का आतंक बना दें। इसी का परिणाम है कि वहां की नाकेबंदी कर लोगों को भूखों मारने की तैयारी कर ली गइ है। सबसे बडा ताज्जुब यह है कि पुलिस कैसे सीपीएम की पिछलग्गू बनी है और निर्दोष ग्रामीणों पर अत्याचार होते देख रही है। जिस तरह पुलिस का इस्तेमाल नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में किया वही सीपीएम बंगाल मे कर रही है। क्या कोइ फर्क है दोनों में। सारा देश बुद्धजीवी पत्रकार और संवेदनशील व्यक्ित विरोध कर रहा है लेकिन इनकी बला से। बंदा करात आ कर कैडर को जो संदेश देती है आखिर पालन तो वहीं होगा। आवश्यक है कि सीपीएम जैसी फासिस्ट पार्टी का विरोध उसी शैली में हो जैसे गुजरात के नरेंद्र मोदी का।